“हंसलो भाई नही तो बीमारिया आ घेरेगी”
जीवन की भागदौड मे हताश निराश एंव
थका मनुष्य इतना भ्रमित एंव परेशान पहले कभी नही देखा |
अपनी उलझनो के चक्रव्यूह मे फंसकर स्वास्थ्य
नितिरोगी एंव यौवन उल्लास उसके लिये सपने की चीज बन गई है | अब हर सुख पाने के
लिये टॉनिको और दवाईयो की दुनिया मे भटका करता है, उसका यह भटकना कुछ कस्तूरी म्रग की है जो
उसे हास्यरूपी अमूल्य निधि एंव अचूक टॉनिक
सुझाई सहज ही प्रचुरता मे उपलब्ध करा रहा है |
स्विट्जरलैड मे आयोजित ‘इंटर्नेशनल कांग्रेस
ओफ ह्यूमर’ मे प्रस्तुत तथ्यो के
अनुसार पचास के दशक मे आम आदमी 18 मिनट प्रतिदिन हंसता था, जीवन स्तर
के उल्लेखनीय सुधार के बावजूद 90 के दशक मे यह
आंकडा 6 मिनट प्रतिदिन रहा गया, जबकि पचास का दशक
भीषण आर्थिक मन्दीके लिये मना जाता है |
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जर्मन
मनोचिकित्सक डो. माइकल टिटन के अनुसार आज हम ऐसे समाज मे रह रहे है जो उप्लब्धि व
सफलता को अत्यधिक मह्त्व देता है और जब व्यक्ति इन स्तरो को हासिल नही कर पाता व
स्वयं की कल्पना के इन मापदंडो पर खरा नही उतरता, तो शर्म हताशा व अवसाद का
शिकार हो जाता है | लोगो को हंसने का कोई कारण समझ नही आता |
हास्य
तो सदा ही शारीरिक एंव मानसिक स्वास्थ्य का प्रमुख प्रधान माना गया है | विघन हजरत
सुलेमान ने इसे रामबाण औषधि की संज्ञा दी है |
उनके शब्दो मे ‘यदि मुख पर हास्य और ह्रदय मे उल्ल्लास है तो, स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव रामबाण औषधि की तरह पडता है | इसी बात की युक्ति है |
डो
ओलिवर वैडल होम्ज कहते है कि हास्य या उल्लास प्राक्रतिक औषधियो का महासगर है |
अंग्रेजी
मे कहावत है कि प्रतिदिन केवल तीन बार खिलखिलाकर हंसने से न तो मनुष्य रोगी होता
है और न ही उसे किसी डा. की जरूरत है |
आयुर्वेद व मनोविज्ञान का सर्वण सिद्धान्त है कि चिंता, क्रोध, ईष्य्रा व द्वेष आदि विषाक्त मनोभावो से हमारे शरीर मे विष की उत्पत्ति होती रहती है, हास्य उसका परिशोधक है | सही मायने मे हास्य से बढकर बलवर्धक और उत्साहप्रद कोई अन्य रसायन नही हो सकता |
जोरो
से हसने पर वक्षस्थल पर एक के बाद एक कई झटके लगते है | प्रत्येक
झटके के साथ रक्तवाहिनी नलिकाओ का ह्रदय तक पहुचने के साथ के पहले मार्ग पर कई जगह
रुकता है | यही कारण है कि देर तक हसने रहने से मनुष्य का
चहरा लाल हो जाता है | हास्यक्रिया के बीच बीच जो श्वास
प्रक्रिया होती है, उसके कारण फेफडो के बीच साफ हवा पहुचती
है और दुषित हवा बाहर निकलती है |
हंसने
से भोजन शीघ्र पचता है | जो व्यक्ति भोजन करते वक्त रोता है उसकी भुख कम होती है और पाचंक्रिया
निष्क्रिया हो जाती है | हंसते हुए भोजन करने से जठरग्नि
प्रदीप्त होती है तथा रस, रक्त, मांस, मज्जा,चर्बी, अस्थि एंव वीर्य
की व्रद्धि होती है | हास्य की चिकित्सकीय उपयोगिता पर
वैज्ञानिक द्रष्टि की मात्र दशक पुरानी है |
साइक्लोजी
टुडे मे निकले शोध के अनुसार वैज्ञानिको द्वारा नब्बे (90) के दशक मे लाफिंग
थैरेपी की चिकित्सकीय उपयोगिता असंदिग्ध रूप से स्पष्ट हो गई | लाफिंग के
आविष्कार का श्रेय एक अमेरिकन पत्रकार नारमन काजिन को जाता है | उनकी स्वयं की रीढ की हड्डी मे ऐसी बीमारी थी,जिसका
उपचार विज्ञान जगत के पास नही था | उन्हे असहनीय पीडा होती
है, जिससे ध्यान बटाने के टीवी देखते थे | टीवी देखते-देखते वे ठहाके लगाते थे | कुछ दिनो मे
यह देखकर आश्चर्य चकित हो गये कि दर्द पूर्णतया गायब हो गया था | उन्होने काफी खोज की और बताया कि जोर-जोर से हंसने से शरीर मे एंडोर्फिन नामक रसायन का स्तर बढता है जो सबसे
अच्छे दर्द निवारक है | यही नही इससे मस्तिष्क मे भी
पर्याप्त रक्त संचार होता है, जिससे न्यूट्रास्मीटर की
मात्रा बढती है | स्मरण शक्ति बढाने मे सहायक है |
यूरोपियन वेल्यूज ग्रुप द्वारा बीस यूरोपियन देशो मे किये गए सर्वेक्षण
के अनुसार ब्रिटेन के निवासी सर्वाधिक स्वस्थ एंव प्रसन्न रहते है | उनके उत्तम स्वास्थ्य का यही राज है कि वे हसने-हसाने मे औरो की अपेक्षा
अधिक समय लेते है | मनसिक तनाव की स्थिति मे शरीर मे
स्टेराइड नामक तत्व बनने लगता है, जिससे जीवन शक्ति नष्ट
होने लगती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मे गिरावट आ जाती है |
कुछ संस्थानो का मानना है कि यदि नजला, जुकाम व दमा जैसी
बिमारियो से बचना चाहते है तो तनाव से दूर रहे |
न्यूयार्क
बेबी हास्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. स्टव ओषधि उपचार के साथ जोडकर बच्चो को
हसाने का भी कार्य करते है | उनका कहना है कि यदि हम रोगी के जीवन की रक्षा
नही कर सकते तो उसे हसाकर और खुश रखकर उसके जीवन की अवधि तो बढा सकते है | डा. ब्रेक द्वारा प्रदान की गयी है | हास्य
चिकित्सा के दोरान रोगियो के रक्त की जांच की गयी, जिससे
आश्चर्यजनक परिवर्तन पाये गये है | रोगियो मे रोग के किटाणुओ
से लडने वाले सफेद रक्त कणिकाओ की संख्या बढी हुई मिली, इसके
अतिरिक्त कोल्स्ट्राल की कमी पाई गयी जाती है |
हंसी के लाभ को नये सिरे से महत्व देने मे भारतीय डा. मदन कटारिया का नाम भी बडे सम्मान के साथ लिया जाता है | मुम्बई के डा. कटारिया ने नौ वर्ष पूर्व अपने चारो मित्रो के सहयोग से हंसोड क्लब बनाया था | आज इस अजीब-गरीब थैरेपी मे लोग इतनी दिल्चस्पी ले रहे है कि अब तक लगभग 150 हंसोड क्लब खुल चुके है और इनका विस्तार भारत से बाहर अन्य देशो मे भी हो रहा है | फ्रांस और जर्मनी के लोग भी हंसोड क्लब बनाने पर जोर दे रहे है | पिछले दिनो स्विट्जरलैंड और अमेरिका के दो सम्मेलनो मे डा. कटारिया के प्रयासो को खूब सराहा गया |
डा.
कटारिया ने लगभग 30 तरह के हास्य व्यायाम ईजाद किये है, जिसने
सिंह हास्य, कपिल हास्य, हिंडोल हास्य
प्रमुख है |
साहित्यकार
बर्नाडे शो ने एक स्थान पर लिखा है कि-
‘हंसी की पृष्ठ्भूमि पर ही स्वास्थ्य एंव योवन के प्रसून खिलते है | योवन को तरोताजा रखने के लिए आप भी खूब हंसिए’
भला
फिर हम क्यो उदास है | क्यो ना आज और अभी एक जोरदार उद्रेक की गूंज मे अपनी सारी चिंता, अवसाद को उडा फेके | हास्य तो जीवन जीने के रहस्य
है | इसे जाने ही नही अपनाये भी | तभी
तो होगा हमारा भारत देश सेवा मुक्त और तभी हम कह सकते है | ‘हो रहा भारत निर्माण’ |
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